उल्लू और कौवा एक पेड़ पे बैठे थे. दिन का समय था. कौवा Ullu को बोलता है चलो आज थोड़ा जंगल के सैर करने चलते हैं. Ullu बोलता है कौवे से की नहीं अभी नहीं जा सकता तभी वहा कबूतर आ जाता है. कबूतर बोलता है की क्या बातचीत चल रहा है.
कौवा बोलता है इसको बोल रहा हूँ चल नयी दिशा में घूमने चलते हैं. ये बोल रहा है मै नहीं जा सकता। तब कबूतर उसका मजाक उड़ाते हुए बोलता है ये क्या जायेगा ये तो डरपोक है. इसे दिन में कम दिखाई देता है.
Ullu की कहानी इन हिंदी
कौवा ullu को बोलता है इसमें हिम्मत ही नहीं की ये हमारे साथ इस समय घूमने जा सके. तभी ullu बोलता है मै थोड़ा बुड्ढा हो गया हूँ इसलिए ज्यादा दूर तक जाने में असमर्थ हूँ. कबूतर उसकी खींचते हुए बोलता है ये जा नहीं सकता तो दुनियाभर का बहाने बनाएगा.
उल्लू बोलता है तुम लोगो को मजाक लग रहा है कभी मेरा भी समय आएगा. तभी दोनों बोलते हैं की तेरा क्या समय आएगा. तेरा तो समय अब खतम हो गया है. तब उल्लू कुछ नहीं बोलता है चुप चाप सुनते रहता है. धीरे धीरे रात होने लगती है.
कौवा और कबूतर दोनों वह से हैं. तब उल्लू बोलता है. तुम दोनों कहा जा रहे हो. मुझे तो अब तुम दोनों की बाटे सुनकर बहुत तरस आ गया. और अब मई भी सोच रहा हूँ की रत को मौसम और भी सुहाना है क्यों न अब घूमने चला जाये.
कभी भी किसी का मजाक उड़ाना ठीक नहीं
तब कौवा और कबूतर हसते हुए बोलते हैं की अरे नहीं काका क्या जाओगे बुड्ढे हो गए हो क्यों परेशान होंगे आप. Ullu बोलता है नहीं मई नहीं परेशान होऊंगा दरअसल मुझे रात में ही घूमने में मजा आता है. दिन में गर्मी ज्यादा होती है और धुप भी होती है इसलिए मई दिन में घूमने में इंटरेस्ट नहीं लेता। तुम लोग रात में घूमने से डर तो नहीं रहे हो.
घबराओ मत मै हूँ ना. तब कौवे और कबूतर को समझ में आ गया की उल्लू अब हम लोगो को ullu बना रहा है. हम लोगो की खिचाई कर रहा है. इसे तो रात में दिखाई दे रहा है हमें तो दिखाई ही नहीं देता.
तब उल्लू बोलता है मैंने क्या बोला था की मेरा भी समय आएगा. कबूतर और कौवे को अपनी गलती का अहसास हो गया की कभी भी दूसरे को कमजोर समझ के उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए. समय कभी भी उलटा हो सकता है.
उल्लू को लेकर कुछ धारणाएं
कहते हैं की अगर रत को उल्लू आवाज निकले तो अपसकुन माना जाता है. उसके बोलने का मतलब कुछ न कुछ घटित हो सकता है. ये हम अक्सर दूसरों से सुनते आये हैं. उल्लू की आवाज को मनहूसियत से देखा जाता है.
ये केवल कुछ पुराणी धारणाओं को लेकर लोग ऐसी बाटे करते हैं. हालाँकि इसका विज्ञानं से कोई भी लेना देना नहीं है. इसकी सच्चाई क्या है ये कितना सच और कितना झूठ है. इसे अन्धविश्वास भी माना जाता है. ऐसे तो उल्लू को लेकर उसकी अलग अलग संज्ञा देते रहते हैं.